रिया, एक तेजतर्रार ग्राफिक डिज़ाइनर, हमेशा से ही अपनी शर्तों पर जीने में विश्वास रखती थी। शादी के बाद, ससुराल आना उसके लिए एक नया अनुभव था। रिया की सासूजी, शांतिदेवी, एक सख्त परंपरावादी महिला थीं, जिन्हें परिवार की ज़िम्मेदारी निभाने वाली बहू की उम्मीद थी। पहले दिन, रिया ने सुबह की चाय टेबल पर बैठते ही सुना, "बेटे, अब से रसोई तुम्हारी ज़िम्मेदारी है।" रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "सासूजी, ये सब मुझे ज़रूर सीखना है, लेकिन फिलहाल तो मेरा ऑफिस का समय है। घर आने के बाद ज़रूर मदद करूंगी।" शांतिदेवी को ये बात नागवार गुज़री। उनके लिए