मुलाकात (तड़प बिछोह की)

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1.ज़िंदगी की हर सुबह की पहली किरण हो तुम,बीते लम्हों की हर याद का सहारा हो तुम।दिल में बसी है तुम्हारी मिठास का ख्वाब,मेरी हर खुशी का सच्चा इज़हार हो तुम।। 2.इस दिल का एक कहा मानो एक काम कर दो, एक बेनाम सी मोहब्बत मेरे नाम कर दो। मेरे ऊपर एक छोटा सा एहसान कर दो,एक सुबह को मिलो और शाम कर दो।। 3.आरजू होनी चाहिए किसी को याद करने की,लम्हे अपने आप मिल जाते है। कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,याद वही आते है जो उड़ जाते है।। 4.लिखने की चाहत फिर से ले आती है