सोने के कंगन - भाग - १

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रात के लगभग बारह बज रहे थे कि तभी कुशल को उसकी पत्नी अनामिका के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत ही उठा और लाइट जलाई। उसने देखा कि अनामिका दर्द के कारण तड़प रही थी। यह देखते ही कुशल ने पूछा, “अनामिका बहुत दर्द हो रहा है क्या?” “नहीं बहुत तो नहीं लेकिन जब भी होता है ज़ोर से ही होता है, फिर रुक जाता है फिर…!” “हाँ-हाँ डरो नहीं, मैं माँ को बुलाकर लाता हूँ,” कहते हुए वह अपनी माँ के कमरे में आ गया। दरवाजे पर दस्तक देते हुए उसने आवाज़ लगाई, “माँ …माँ देखो ना