आशिक़ी (एक बेनाम रिश्ता)

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1.सोचता हूं कुछ कहूं तुमसे मैं मगर तेरे - मेरे बीच मेंबढ़ती दूरियों से खामोश रह जाता हूं फिर खुद से ही कर लेता हूं सारी बातें तुम्हारी विदा तुम हो गई मुझसेतुम्हारी यादों से विदा कैसे मैं हो जाऊ... 2.जब तुमने ले ली थी विदामेरे हाथों से छुड़ाकरहाथ अपनासारी रात भीगता रहा मनगहराती रहीं यादें तेरीमैं होकर मैं देखता रहाएकटक वो राहजिस पर बढ़ चली थी तुमइक बार भीपीछे मुड़कर नही देखा तुमनेविस्मृत हो खड़ा रहादोनो हाथ पसारे3.क्या सोचा होगा कभी उसने अब मैं कैसे रहता हूं उसकी यादें उसकी बातेंअब मैं किससे करता हूं बुरा भला, दुनिया के