मेरे शब्दों का संगम

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1.किताब की दोस्ती बहुत कमाल की होती हैं...बात तो नहीं होती, पर बहुत कुछ सिखाती हैं...!2.शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्पष्टीकरण देना नहीं है,बल्कि मन के दरवाजे खटखटाना है...! 3.वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या,जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,यदि धाराएं प्रतिकूल न हों।4.तुम कितने ताकतवर हो?ये अखाड़े नहीं,किताबें बताएँगीकि तुमने उन्हें कितनी ताकत से पढ़ा।5.रंग में सांवले और लहज़े में कड़क लगते हो,सच कहूँ यार तुम और चाय गजब लगते हो।6.पानी रे पानी तेरा रंग कैसा,जिसमें मिला दो उसके जैसा।7.शोर नही है हम जो सुनाई दे हम तो वो खुशबू है...जो रूह मे उतर के