खामोशी (एक अनजाना एहसास)

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1.हाए वोह वक़्त की तारी थी मोहब्बत हम पर हम भी चौंक उठते थे इक नाम से, पहले पहले हम भी सोते थे कोई याद सिरहाने रख कर हाँ मगर ! गार्दिशे ए अय्याम से, पहले पहले2.क्या तुम्हें पता है, ऐ गुलशन, मेरे दिलबर आने वाले हैंकलियाँ ना बिछाना राहों में, हम दिल को बिछाने वाले हैं3.तुम हो बाग़ में उड़ती हुई तितली की मिसाल... मैं वो बच्चा _ जो पकड़ने में लगा रहता है...!4.मिली है हुस्न की दौलत बड़े मुक्कद्दर से... कि नजर उतार कर निकला कर घर से...!5.क्या तुम्हें पता है ऐ गुलशनमेरे दिलबर आने वाले हैकलियाँ न