- 19 - रक्तदान शिविर के कुछ दिन बाद की बात है। सुबह की ठंडी हवाओं के बाद सूर्योदय के साथ ही पृथ्वी ठंडक की केंचुल उतार जीवंत होने लगी थी। ऐसे सुहाने मौसम में कॉलेज-कैंटीन के बाहर रखी कुर्सियों पर बैठे तथा धूप का आनन्द लेते हुए प्रो. दर्शन अपने दो साथियों के साथ चाय की चुस्कियों के बीच गपशप कर रहे थे। इसी बीच उसने कहा - ‘रक्तदान शिविर के आयोजन से एक बात तो क्लीयर हो गई कि यह आयोजन प्रिंसिपल ने शीतल मैम को खुश करने के लिए किया था। कोई व्यक्ति