अमावस्या में खिला चाँद - 17

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- 17 -          सुबह जब शीतल की आँख खुली और उसने मोबाइल पर तापमान देखा तो उसकी हिम्मत नहीं हुई कि रज़ाई की गर्मी को बाय-बाय कर दे, क्योंकि बाहर का तापमान केवल एक डिग्री था। सात बजे के लगभग प्रवीर कुमार ने उसके कमरे पर दस्तक दी तो उसने उठकर दरवाजा खोला।         ‘क्या बात है शीतल, अभी तक रज़ाई में ही हो, तबीयत तो ठीक है? .. बच्चों ने तंग तो नहीं किया?’         ‘प्रवीर, नींद तो रोज़ के वक़्त ही खुल गई थी, लेकिन जब बाहर का