अमावस्या में खिला चाँद - 16

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- 16 -         कॉलेज में दिसम्बर की छुट्टियाँ होने पर घर जाने से पहले शीतल ने एक दिन प्रवीर के बच्चों के साथ बिताने की सोची। मन में विचार आते ही उसने प्रवीर को तदानुसार सूचित किया।          बस स्टैंड पर पहुँची तो जो बस चलने के लिए तैयार थी, वह खचाखच भरी हुई थी। शीतल इतनी भीड़ में चढ़ने की हिम्मत न जुटा पाई। उसने अगली बस के लिए पन्द्रह मिनट की प्रतीक्षा करना ठीक समझा। जब आप बेसब्री से बस की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं तो वह प्रायः लेट हो