अमावस्या में खिला चाँद - 12

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- 12 -        यूथ फ़ेस्टिवल सफलतापूर्वक निपटने के पश्चात् लगभग एक महीने की मानसिक तथा शारीरिक थकान उतारने के लिए शीतल के पास पूरा एक दिन उपलब्ध था। सुबह की अपनी दिनचर्या के विपरीत आज उसने तब तक बिस्तर नहीं छोड़ा जब तक कि बेडरूम की ग्लास विंडो पर लटकते पर्दे को भेदते हुए सूरज की किरणों ने उसके शरीर को स्पर्श करना आरम्भ नहीं कर दिया। उसने उठकर पर्दा सरकाया तो किरणों का सीधा स्पर्श उसे और भी सुखद लगा, क्योंकि सुबह के समय हल्की-हल्की ठंड पड़ने लगी थी। जाग तो वह काफ़ी पहले ही गई