अमावस्या में खिला चाँद - 5

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- 5 -         सोमवार को कार्यालय में पहुँचकर प्रवीर कुमार ने ज़रूरी कार्य निपटाए। फिर बजर देकर पी.ए. को बुलाया। हाथ में नोटबुक तथा पैन पकड़े राजेन्द्र तुरन्त उपस्थित हो गया।              ‘राजेन्द्र, कॉलेजों में लेक्चरर की ख़ाली पोस्टों को कौन डील कर रहा है?’             ‘सर, संजीव को यह काम दिया हुआ है।’             ‘संजीव को कहो कि पास के एक-दो ज़िलों में देखे कि किसी कॉलेज में हिन्दी लेक्चरर की कोई पोस्ट ख़ाली है क्या?’