साथिया - 90

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"यह आपने ठीक नहीं किया मिस्टर राठौर..!! यह आपने ठीक नहीं किया। उसका नाम बदल देना उसकी याददाश्त चले जाना अलग बात है। पर आपने तो उसकी पहचान ही बदल दी।" मैने कहा था न तुम बर्दास्त नही कर पाओगे..!" "यह बात सही नही है। मेरे बर्दाश्त करने की छोड़िये राठौर साहब..!! जिस दिन सांझ को सब याद आ जाएगा क्या वह बर्दाश्त कर पाएगी?? अपनी पहचान से अलग किसी और के चेहरे और नाम के साथ जीना उसके लिए आसान होगा क्या?? हर इंसान का चेहरा उसकी पहचान होती है। आपने सिर्फ सांझ से उसका नाम नहीं छीना आपने