साथिया - 83

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" प्लीज अबीर जी फोन उठाइये..!" सुरेंद्र खुद से बोले तभी नशे मे धुत निशांत घर आ पहुंचा और उसका चीखना चिल्लाना शुरू हो गया। सुरेंद्र ने आसमान की तरफ देखा और फिर नीचे आ गए ताकि निशांत को संभाल सके। " आव्या दरवाजा खोलो ...!! सांझ को मेरे हवाले कर दो....!! उसे तो इस तरीके से बचा नहीं सकती तुम..?? वहां चौपाल से तुम उसे बचा कर ले आई पर अब नही..!! उसे बाहर निकालो..!" निशांत गुस्से से चिखा। उसकी आवाज से सांझ की नींद खुल गई और उसने घबरा के आव्या को देखा तो आव्या उसके पास आई।