बुआ का गाँब एक घरोहर रामगोपाल भावुक सुरेन्द्रपाल सिंह कुशवाह का उपन्यास ‘बुआ का गाँब’ एक घरोहर कृति है। इसमें देश की स्वतंत्रता के समय की लोक जीवन की झाँकी लेखक ने अपने शब्दों में आँखों देखे हाल की तरह व्यक्त की है।पाठक उसे पढ़ता चला जाता है और ऊब नहीं होती। इसकी भूमिका देश के प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य श्री जगदीश तोमर जी ने लिखी है। वे लिखते हैं-श्री सुरेन्द्रपाल सिंह का यह उपन्यास कथाक्षेत्र में उनकी पहली कृति ही हैं,किन्तु वह अनेक दृष्टियों से अनूठी है। इसमें ग्रामाचंल की झाँकी से पाठक रू-ब-रू होता