कंचन मृग - 44. वे स्वयं जाएँगे

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44. वे स्वयं जाएँगे- चन्द्रिका की मठिया में महारानी मल्हना और चन्द्रा ध्यानस्थ बैठी हैं। माहिल कुछ क्षण बाद वहीं पहुँच जाते हैं। महारानी से थोड़ा हटकर वे भी बैठते हैं। माँ चन्द्रिका से निवेदन करते हुए वे रो पड़े।, ‘माँ ऐसा क्या किया है मैंने कि मुझ पर कोई विश्वास नहीं करता? अविश्वसनीय व्यक्ति का जीवन क्या व्यर्थ नहीं हैं माँ? क्या आप चाहती हैं कि मै अपना जीवन समाप्त कर दूँ। मेरा अकेला पुत्र महोत्सव की रक्षा हेतु बलिदान हो गया। मेरे पास क्या बचा है माँ? वंश दीपक देकर भी हम अविश्वसनीय हो गए। माँ, मुझे आज्ञा