43. पर सिद्धि योग नहीं है- उदयसिंह, देवा और कुँवर लक्ष्मण राणा तापस वेष में सुमुखी की खोज में चलते रहे। चर्मण्वती की वादियों में घूमते हुए एक पहाड़ी पर रात्रि निवास किया। पहाड़ी बहुत ऊँची नहीं थीं। पहाड़ी के ऊपर एक कुंड था। उसका जल निर्मल था। उसी में सायंकाल स्नान कर सन्ध्या वन्दन किया। उदयसिंह ने देवा से ज्योतिषीय गणना करने के लिए कहा। थोड़ी देर तक गणना करने के पश्चात् उन्होंने कहा,’ सुमुखी कहीं निकट ही होनी चाहिए।’’ ‘‘यहीं निकट ही?’‘हाँ’’ ‘तो शीघ्र ही उधर प्रस्थान करना चाहिए।’’ कुँवर लक्ष्मण राणा ने कहा। ‘पर सिद्धियोग नहीं हैं।’