कंचन मृग - 42. काश, वह बालक होती

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42. काश, वह बालक होती- महाराज परमर्दिदेव का मन्त्रणा कक्ष। महारानी मल्हना, कुमार ब्रह्मजीत, मन्त्री देवधर, कंचुकी गदाधर, माण्डलिक आल्हा, उदयसिंह, देवा, कुँवर लक्ष्मण राणा विचार विनिमय हेतु आ चुके हैं। कुछ ही क्षण में आचार्य जगनायक भी आ गए। महामन्त्री देवधर ने महाराज की आज्ञा पाकर युद्ध की तैयारियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने उन सामन्तों एवं का नाम गिनाया जो चन्देलों की सहायता करने के लिये प्रस्तुत थे। युद्ध की तैयारियों से सभी संतुष्ट दिखे। ‘कुँवर ब्रह्मजीत का गौना होना आवश्यक है।’ मल्हना ने कहा। ‘इसी के साथ गौने की भी तैयारी हो’, उदयसिंह ने बात जोड़ी। ‘युद्ध