कंचन मृग - 39. हम कला बेचते नहीं

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39. हम कला बेचते नहीं- महोत्सव में भी युद्ध की तैयारियाँ चल रही थीं। सेनाओं का अभ्यास, प्रशिक्षण निरन्तर चलता रहा। रोहित को तो एक क्षण का भी अवकाश नहीं था। शस्त्रों का निर्माण उसी की देखरेख में हो रहा था। अयसकारों की टोलियाँ अत्यन्त उत्साह से अपने कार्य में जुटी थीं। उदयसिंह, ब्रह्मजीत, लक्ष्मण राणा विचार-विमर्श कर रणनीति निश्चित करते और उसी के अनुरूप तैयारियों को अन्तिम रूप देते। महाराज परमर्दिदेव और महारानी मल्हना भी समीक्षा बैठकों को आहूत कर आश्वस्त होते। विश्वकर्मा पाल्हण के साथ आज कुँवर लक्ष्मण राणा , उदयसिंह, ब्रह्मजीत, चन्द्रा, पुष्पिका खर्जूरवाहक जा रहे हैं।