कंचन मृग - 31. धरती की पुकार को कोई नहीं सुन रहा

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31. धरती की पुकार को कोई नहीं सुन रहा- कच्चे बाबा का आश्रम। प्रातः उदयसिंह और पुष्पिका ने प्रवेश किया। एक शिष्य ने बाबा को सूचित किया। बाबा एक आस्तरण पर बैठे थे। उन्होंने दोनों को वहीं पर बुलवा लिया। प्रणाम निवेदन कर दोनों निकट ही एक आस्तरण पर बैठ गए। ‘संकट का समय है’, बाबा ने स्वयं कहा। ‘चाहमान नरेश परमर्दिदेव पर आक्रमण की योजना बना रहे हैं। जन धन की हानि के अतिरिक्त उन्हें क्या मिलेगा? सीमाप्रान्त पर निरन्तर आक्रमण हो रहे हैं। दस्युओं का आंतक बढ़ गया है। नारियाँ रक्षित नहीं हैं। ऐसी स्थिति में महायुद्ध? महोत्सव