कंचन मृग - 29. मुझे स्वयं अस्त्र उठाना पड़ेगा

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29. मुझे स्वयं अस्त्र उठाना पड़ेगा- कान्यकुब्जेश्वर के अन्तःपुर में राजमहिषी अलिन्द में बैठी कुछ सोच रही थीं। इसी बीच प्रतिहारी ने वेणु को उपस्थित किया। ‘वेणु जी, क्या आप कुछ ऐसा नहीं कर सकते कि महाराज श्री हर्ष के प्रभाव से मुक्त हो सकें!’ ‘ऐसा क्यों सोच रही हैं महारानी?’ ‘मैं प्रश्न का उत्तर चाहती हूँ, प्रति प्रश्न नहीं।’ ‘क्षमा करें महारानी, मैं प्रश्न के निहितार्थ को नहीं समझ सका। इसीलिये प्रश्न करना पड़ा। महाराज आचार्य श्री हर्ष को दो वीटक ताम्बूल देकर आसनारूढ़ करते हैं। उनकी सम्मतियों का मान करते हैं। उनके प्रभाव से मुक्ति…….. ’ ‘तुम्हारी दृष्टि