समीक्ष - विपश्यना लेखिका- इंदिरा दांगी

  • 1.2k
  • 1
  • 324

समीक्षा--- विपश्यना लेखिका-- इंदिरा दांगीविपश्यना कहानी संग्रह विदुषी इन्दिरा दांगी जीवन की अनुभूतियों अनुभव को समेटे काल कलेवर के परिवर्तित आचरण कि अभिव्यक्तियो कि बेहद सुंदर संकलन है जो प्रत्येक व्यक्ति समाज को स्पर्श एव स्पंदित करती है निश्चय ही इंदिरा दांगी जी का प्रयास सराहनीय है साथ ही साथ कहानीकारों के लिए प्रेरक एव अनुकरणीय भी है । विपाश्यना अतीत को वर्तमान के प्रसंग में पिरोती आधुनिकता एव पुरातन संस्कृति के परिवर्तन मूल्यों प्रभावों कि अभिव्यक्ति कही जा सकती है ।सम्बन्धो कि संवेदना एव आचरण में सामयिक परिवर्तन मेरे अनुसार से इंदिरा दांगी जी कि अभिव्यक्ति कि वास्तविकता है