गजल संग्रह

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"खुशनसीब हूँ मैं जो हसरत-ए-दीदार कर सकी.. वक्त के पहले ईद का चांद भी नज़र नहींआता है.."खा़लिक़ तुझसे गुजा़रिश है इकबार तो सामने आअनसुलझे सवाल पूछने हैं जो जे़हन में दफ़न है.. "खुशनसीब हूँ मैं जो हसरत-ए-दीदार कर सकी.. वक्त के पहले ईद का चांद भी नज़र नहींआता है.."क्यों अब नज़दीकियाँ इतनी बढा़ने आए हो.. अपनी बर्बादी का कोई नया इल्जा़म लगाने आए हो.. "य़कीं नहीं तो कभी आज़मा कर देखनामैं खूबसूरत मुहब्बत हूँ, पिघल जाऊंगी ""कायनात में बातें जब जज़्बात की होंगी,तुम्हारी होंगी... न जाने कितने अरमान आज़ भी दफ़न है,तुम्हारी चाहत में.... "पंकज,पुंज,जलज, केशर व नलिनी की भांतिमुस्कुराता