26. उदय सिंह शय्या पर उठ बैठे रात्रि का पिछला प्रहर। उदयसिंह अपनी शय्या पर उठ बैठे। उन्होंने एक भयंकर स्वप्न देखा है। चाहमान की विशाल वाहिनी ने महोत्सव को घेर लिया है। नगरवासियों का साँस लेना दूभर हो गया है। दशपुरवा में कदम्बवास की सेना आमोद मना रही है। चामुण्डराय कीर्ति सागर पर अधिकार किए बैठा है। महारानी और चन्द्रा के अश्रु सूखते नहीं हैं। वे लहुरे वीर का नाम लेते ही विलख पड़ती हैं। उन्होंने पुष्पिका को जगाया। उसे स्वप्न की बात बताई। पुष्पिका ने गणना करके बताया कि भुजरियों का पर्व निकट है। उदय सिंह ने शय्या