कंचन मृग - 20. यह युद्ध नहीं युद्धों की श्रृंखला थी

  • 1.7k
  • 639

20. यह युद्ध नहीं युद्धों की श्रृंखला थी- चाहमान नरेश का अंतरंग सभा कक्ष, जिसमें मन्त्रिगण एवं मुख्य सामन्त आसीन हैं। महाराज पृथ्वीराज के प्रवेश करते ही सभी लोगों ने खड़े होकर महाराज का स्वागत किया। बाइस वर्षीय महाराज की आँखों में राज्य विस्तार की आकांक्षा झलक रही थी। युवा रक्त युद्ध भूमि में अपना प्रदर्शन करने के लिए हरहरा रहा था। आखेट में रात्रि जागरण के कारण आँखें लाल हो उठी थीं। आज की सभा में चामुण्डराय अधिक उत्तेजित थे। उनकी एक सैन्य टुकड़ी को महोत्सव में अपमानित होना पड़ा था। उन्होंने महाराज के सम्मुख निवेदन किया, ‘महाराज, महोत्सव