18. दिल्ली की ओर भी प्रस्थान कर सकता है- महाराज पृथ्वीराज जिन्हें ‘राय पिथौरा’ के नाम से भी जाना जाता है, को सत्ता सँभाले अभी पाँच वर्ष ही हुए थे। उनमें युवा रक्त फड़फड़ा रहा था। वे धनुर्विद्या में पारंगत थे। उन्होंने शब्द बेधते हुए बाण चलाने की कला सीखी थी। उनके यहाँ चामुण्डराय, चन्द, कदम्बवास, कन्ह जैसे कुशल योद्धा थे। कदम्बवास और माँ कर्पूरदेवी के संरक्षण में ही अवयस्क पृथ्वीराज ने राज भार सँभाला था। पर अब वे अनुभवों की सीढ़ी पर एक एक पग आगे बढ़ रहे हैं। कदम्बवास का संरक्षण अब भी था पर महाराज अब स्वतन्त्र