साक्षात्कार " कर्नाटक का हिंदी का सूरज : बी. एस. शांता बाई " [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] [ 15 मार्च 2024 को 97 की उम्र में निधन ] “हिंदी राजभाषा है तो राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बन सकती ? किसी अहिन्दी क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व की कोई हिंदी संस्था स्थापित हो जाए तो प्रांतीय भाषा को किसी प्रकार का नुक्सान नहीं होता। परन्तु उस प्रांतीय भाषा का महत्व और बढ़ जाता है, हिंदी के माध्यम से उस प्रांत की संस्कृति, भाषा, साहित्य, कला आदि क सारे भारत में प्रचार होता है। " ये विचार किसी हिन्दीभाषी के नहीं हैं बल्कि बैंगलोर