सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तक

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सामूहिक सेवा से व्यक्तिगत लाभप्रदता तकः आज के आर्य समाज की लुप्त होती गौरवशाली कहानी   डॉ. गुणवती बेन्दुकुर्थी   प्रसिद्ध समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर्ष 1875 को आर्य समाज की नीव रखी गयी। आर्य समाज का आदर्श वाक्य, “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्“ विश्व को आर्य बनाते चलो - "हमें भारत के महान ग्रन्थ वेदों  से प्राप्त  तार्किक ज्ञान का अर्जन कर निःस्वार्थ  भाव युक्त मार्ग की ओर निरंतर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।"  हैदराबाद शहर में आर्य समाज केंद्र की स्थापना साल 1892 में की गई थी। हैदराबाद पर  निजाम के सत्तावादी शासन व्यवस्था के दौरान