व्याधि - भाग 1

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व्याधि भाग 1जिंदगी हर रोज की तरह अपने हिसाब से चल रही थी। सुबह की ताजा ओस पेड़ पौधों के पत्तों को नयी ताजगी का एहसास करा रही थी। पक्षी चहचहाकर सबका मन मोह रहे थे। दूर के जंगलों से ठंडी हवा शहर में घुस आयी थी। शायद दूर जंगलों में बीती रात बारिश हुई होगी। जब भी शहर से लगते जंगलों में बारिश होती है तो ऐसी ही ठंडी ठंडी हवा शहर की तरफ दौड़ी चली आती है। सुबह के आठ बज चुके थे। कोमल की जैसे ही आँख खुली उसका ध्यान दीवार पर लगी घड़ी की तरफ गया।