बुजुर्गों का महत्व

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बुजुर्गों का महत्वयह कहानी एक ऐसे बुजुर्ग की है जो अपने बेटों से बहुत प्यार करता है लेकिन बेटे पिता को पिता नहीं अपना दुश्मन समझते हैं। श्यामलाल की उम्र 75 वर्ष थी। उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। उसके तीन बेटे थे और तीनों की शादियां हो चुकी थी। संदीप, दीपक और सतीश इन तीनों में से संदीप सबसे बड़ा था । यह तीनों अपने-अपने कार्य करते थे लेकिन इनको इतनी आमदनी नहीं होती थी। महंगाई के समय में बच्चों के साथ जीवन व्यतीत करना एक गरीब परिवार के लिए बड़ी समस्या थी श्यामलाल के पास पैसे नहीं