बेटी की अदालत - भाग 6 (अंतिम भाग)

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अपने परिवार में होती कड़वी लेकिन सच्ची नसीहत ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। स्वीटी की मामी सोच रही थीं, “स्वीटी सच कह रही है। माँ-बाप तो माँ-बाप ही होते हैं, चाहे वह ख़ुद के हों या पति के। उनमें भेद भाव कैसा?” ऐसा सोचते हुए स्वीटी की मामी ने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपने सास-ससुर से कहा, “मम्मी जी और पापा जी चलिए; अब हम भी अपने घर जाते हैं।” स्वीटी की मामी ने गलती करने से पहले ही इस हादसे से सीख ले ली। घर से बाहर निकलते समय स्वीटी की दादी ने कहा, “स्वीटी