सर्कस : ५ सुबह उठा, तब दिशाएँ हल्के-हल्के खुल रही थी। पंद्रह दिन का शारीरिक ओैर मानसिक तनाव अब खत्म हो गया। अब जो था वह आगे एक स्पष्ट खुला क्षितिज। उसके तरफ जाने का रास्ता, कितना भी उबड-खाबड क्यों ना हो मंजिल का पता मालुम होना चाहिए। फिर रास्तें