उजाले की ओर –संस्मरण

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================== स्नेहिल नमस्कार मित्रो! आशा है, आप सब आनंद में हैं । मेरी सोसाइटी काफ़ी बड़ी सोसाइटी है जिसमें सुबह से ही अख़बार, दूध, सब्ज़ी-फलों वाले हाॅकर, हैल्पर आने शुरु हो जाते हैं। उनमें से कुछ तो कितने वर्षों से आते हैं और जिनको अपना सामान देते हैं, अथवा जिनके यहाँ काम करते हैं उनसे कभी अपने सुख दुख भी साझा करते हैं। दरअसल, वर्षों से आने के कारण उन्हें सब अपने ही लगते हैं। दुनिया में सब प्रकृति के लोग होते हैं, कुछ के पास काग़ज़ी डिग्री नहीं होती लेकिन उनके अनुभव उन्हें बहुत परिपक्व बना देते हैं और