दिव्यजीत और देविका अपने बिस्तर में पहुँचे तो अब देविका बनी सतरुपा की डर के मारे हालत खराब होने लगी,लेकिन फिर भी वो बेड के दूसरी ओर किनारे पर जाकर लेट गई और सोने का नाटक करने लगी,वो जैसे तैसे सिंघानिया से अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी और तभी उसे सिंघानिया ने टोकते हुए कहा.... "देवू! तुमने बताया नहीं कि तुम्हें फोन कैंसा लगा"? "जी! अच्छा है",देविका बोली... "तुम पहले की तरह खुश नहीं हुई गिफ्ट पाकर",सिंघानिया बोला... "जी! मैं खुश हूँ",देविका बोली... "अच्छा! मेरे पास आओ,चलो बातें करते हैं",दिव्यजीत देविका से बोला... "जी! मुझे बहुत नींद आ रही है,आज