10. पर-कटी फुर्र. *पर-कटी चिड़िया* से चिरौंटे के मिलने का सिलसिला आज भी बन्द नहीं हुआ था। हाँ, इतना तो जरूर था कि कभी कभार चिरौंटे की जगह *पर-कटी* के बेटा-बेटी आ जाया करते थे। शायद उम्र का तकाज़ा रहा हो या फिर कुछ अधिक व्यस्तता। पर सिलसिला तो आज भी जारी था। *पर-कटी चिड़िया* की देखभाल और सेवा-सुश्रुषा में कभी भी कोई कमी नहीं आई। न तो पाखी और पलक की ओर से ही और ना ही चिरौंटे और उसके बेटा-बेटी की ओर से ही। इतना ही नहीं पाखी और पलक के साथ-साथ गोलू, श्रेया और परी का योगदान