सर्कस: ३ सुबह हो गई। एक अलग, अपरिचित उर्जा की लहरें वातावरण को पुलकित कर रही थी। कोलाहल भरे मन को, एक नये लक्ष्य की ओर प्रेरित करने वाले विचारों से अब मैं उत्साहित अनुभव कर रहा था। आज चाचाजी के साथ अरुण वर्माजी से मिलने जाना है, यह