अगले दिन सांझ गांव जाने के लिए बस में बैठकर निकल गई। उसने बस में बैठकर अक्षत को फोन किया।" हाँ सांझ निकल गई तुम?" अक्षत ने पूछा।" जी जज साहब..! बस यही बताने को फ़ोन किया आपको..!! सांझ बोली।" अच्छा जी सिर्फ ये बताने को फोन किया बाकी याद नही आ रही थी मेरी।" अक्षत बोला।" आप भी न जज साहब...!! कल ही बोला न कि आपको भूलती ही नही हूँ और जब तक मेरी साँसे नहीं है उनमे आपका नाम है। और जब तक दिमाग मे चेतना है आपको नही भूल सकती। अब सासों की डोर टूट जाए