प्रेत वाधा एव वास्तु

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प्रेत बाधा एव वास्तु---भूत प्रेत अपार शक्ति सम्पन्न एव इनकी बिभिन्न प्रकार की जातियां होती है भूत प्रेत पिचास राक्षस यम साकिनी डाकिनी चुड़ैल गंधर्व आदि यदि महादशा में चंद की अंतर्दशा और चंद्र दसापति राहु से भाव 6 8 या 12 में बलहीन हो तो व्यक्ति पिचास दोष से ग्रस्त होता है वस्तु शास्त्र के अनुसार पूर्वा भद्र पद उत्तरा भद्र पद जेष्ठा अनुराधा या स्वाती या भरणी नक्षत्र में शनि की स्थिति होने पर शनिवतार को गृह निर्माण आरम्भ नही करना चाहिए अन्यथा वह घर राक्षसों पिचासो का घर हो जाएगा जन्म कुंडली मे यदि लग्न भाव आयु