छपास रोग 

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छपास रोग ‘‘हलो।’’ मोबाइल उठाते ही मैंने कहा। ‘‘नमस्कार डाॅक्टर साहब।’’ उधर से आवाज आई। ‘‘नमस्कार, माफ कीजिएगा आपका नम्बर मेरे मोबाइल में सेव नहीं होने से मैं पहचान नहीं पा रहा हूँ आपको।’’ मैं असमंजस में था। ‘‘अजी पहचानेंगे भी कैसे ? पहली बार जो आपसे हमारी बात हो रही है। वैसे लोग इस नाचीज बंदे को अविराम संतोष के नाम से जानते हैं।’’ उधर से आवाज आई। ‘‘अविराम संतोष जी...... सर ये नाम तो जाना-पहचाना लग रहा है। कहीं आप अनंत अविराम प्रकाशन वाले प्रख्यात साहित्यकार अविराम संतोष जी तो नहीं हैं ?’’ मैंने कहा। ‘‘जी, जी, बिल्कुल