मक्खन बाजी "कहाँ जाने की तैयारी है ?" पति देव को तैयार होते देख श्रीमती जी ने पूछा। "आफिस और कहाँ जानेमन, मियां की दौड़ मस्जिद तक की ही होती है। घर से ऑफिस और ऑफिस से सीधे आपकी दरबार में। अपना और कोई ठिकाना तो है नहीं।" पति देव रोमांटिक मूड में बोले। "अच्छा... बातें तो ऐसी कर रहे हैं, जैसे कभी कहीं और जाते ही नहीं।" श्रीमती जी अपने स्वाभाविक अंदाज में बोलीं। "अजी, आपने हमें ऐसा छोड़ा ही कहाँ है कि कहीं और जा सकें। वैसे मोहतरमा आज ये पूछ क्यों रही हैं ? इरादा तो नेक