वाजिद हुसैन की कहानी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में बनखेड़ी एक गांव है जिसमें अधिकतर सिखों के फॉर्म हाउस हैं। सरकारी ज़मीन पर एक बंगाली मज़दूरों की बस्ती है जिममें अधिकांश फार्मिंग लेबर रहती हैं। इस बस्ती की सोलह वर्षीय बिल्लो का यौवन निखर रहा था। रोज़ाना उसके बंगाली माता-पिता, चाचा ताऊ उसका ब्याह कर देने के बारे में सोचते और इकट्ठे बैठकर इस बारे में परामर्श भी कर चुके थे। लेकिन बिल्लो को बस्ती का कोई लड़का भाता नहीं था। मुखिया का बड़ा लड़का सुरेश दो बार जेल जा चुका था। चाहे वह गठीला लंबा चौड़ा जवान था,