महाराज मनु

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मनि विनु पनि जिमि जल बिनु मीना।मम जीवन तिमि तुम्हहि अधीना—(श्रीरामचरितमानस)जब ब्रह्माजी ने सृष्टि के प्रारम्भ में देखा कि उनकी मानसिक सृष्टि नहीं बढ़ रही है, तब अपने शरीर से उन्होंने एक दम्पति को प्रकट किया। ब्रह्माजी के दाहिने अङ्ग से मनु तथा बायें अङ्ग से उनकी पत्नी शतरूपा प्रकट हुई। ब्रह्माजी ने मनु को सृष्टि करने का आदेश दिया। उस समय पृथ्वी जल में डूब गयी थी। मनु ने स्थल की माँग की प्रजाविस्तार के लिये। ब्रह्माजी की प्रार्थना पर भगवान्ने वाराहरूप धारण करके पृथ्वी का उद्धार किया। पृथ्वी का उद्धार हो जानेपर मनु अपनी पत्नीके साथ तप करने