*(एक खूबसूरत कविता सभी शिक्षकों के लिये!!)*मेरे लिए भी*मत पूछिए कि शिक्षक कौन है?**आपके प्रश्न का सटीक उत्तर* *आपका मौन है।**शिक्षक न पद है, न पेशा है,* *न व्यवसाय है ।**ना ही गृहस्थी चलाने वाली* *कोई आय हैं।।* *शिक्षक सभी धर्मों से ऊंचा धर्म है।* *गीता में उपदेशित* *"मा फलेषु "वाला कर्म है ।।* *शिक्षक एक प्रवाह है ।* *मंज़िल नहीं राह है ।।* *शिक्षक पवित्र है।* *महक फैलाने वाला इत्र है* *शिक्षक स्वयं जिज्ञासा है ।**खुद कुआं है पर प्यासा है ।।**वह डालता है चांद सितारों ,**तक को तुम्हारी झोली में।* *वह बोलता है बिल्कुल,* *तुम्हारी बोली में।।* *वह