काश कोई तो अपना होता

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1. एहसासतेरी चाहत भूल गयी है जीवन को महकाना अबमेरी भी इन तस्वीरों ने छोड़ दिया शरमाना अबजो इक बात बयां होती थी तेरी-मेरी नज़रों सेकितना मुश्किल है उसको यूँ लफ्ज़ों में समझाना अबमेरी गलियों से अब उसने आना-जाना छोड़ दियाछोड़ दिया है मैने भी हर आहट पे घबराना अबदिल की कब्र बनाकर मैं जिस दिन से जीना सीखी हूँभूल गयी हूँ उस दिन से ही चाहत पे मर जाना अबउसने जब से फूलों से सजना-संवरना छोड़ दियाबागीचे में कम दिखता है कलियों का मुरझाना अबयाद तुम्हारी आये तो मैं नज़में लिखने लगतीहूँआता है मुझको भी देखो यादों को बहलाना