कुछ अनकही ख़ामोश यादें

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1.ये क्या कह दिया तुमने..फुरसत हो तो..??मेरा हर लम्हा....बस तुम्हारा हैपढ़ा है... हर रात तुम्हे..देखा है.. सुना हैहर पल.. हर लम्हा..तुम्हे ही तो बुना हैऔर सब्र...हर एक रात कीचौखट पर बैठी मैसब्र ही तो करती हूं और इंतज़ार करती हूं तुम्हारा.हर दिन की भोरशुरु होती है तुमसे ही तो.दामन थामकरतुम्हारी यादों कापार कर आती हूं..समंदर जैसा दिनऔर आ जाती हूं...सांझ की चौखट परजलाती हूं आस का दियाकि... आओगे तुम आज फिरख़्वाबों मे मेरे.. औरजियेंगे हम...वो पलसंजो लुंगी.. ख़ूबसूरत लम्हेआने वाले कल के लिये.भर लुंगी... आँखों मे अपनीतुम्हारा वो चेहरादेखकर जिसेमुस्कुराती रहूंगी सारा दिनआने वाली सांझ के लिये.क्या अब भी कहोगे..फुरसत