1.रूह भी तू सुकून भी तूइबादत भी तू जन्नत भी तूखामोशी भी तू अल्फाज़ भी तूइश्क़ भी तू जिन्दगी भी तूआखरी है इल्तेजा यूं ना आज़मा मुझे...रूह को सुकून दे या खाक में मिला मुझे... लोग मुकर जाते हैं यहां कसमें खाकर जनाब वो कानून यूं ही कागजी सबूत नहीं मांगता ... 2.सुनो,मेरे इस दिल... को तुम ही रख लो।बड़ी फ़िक्र रहती है... इसे तुम्हारी "तुम्हे" महसूस करना... ही "इश्क़" है...वरना... छूकर तो हमने "खुदा"...को भी नही "देखा"... देखो ना मुझे तुम यूँ इतने प्यार से...जान ना जाए मेरीतुम्हारे इस अंदाज से... कहते हो तुम कि तुमको मुझसे प्यार है...दिल