दादा का पोते के रूप में जन्म (शंकर-पूजन तथा सनातन धर्म विरुद्ध दाह-संस्कार दोष के परिणाम)यह मार्च 1960 की बात है। हम मुजफ्फर नगर के गाँव में पुनर्जन्म सम्बन्धी घटनाओं की सत्यता का पता लगाने की दृष्टि से गये हुए थे। एक दिन हम काली नदी के किनारे देव मन्दिरों के दर्शन करते हुए किसी संत के सत्संग की इच्छा से घूम रहे थे। अकस्मात् एक जगह एक तख्त पर विराजमान एक संत जी से वार्तालाप के क्रम में हमें पता चला कि उन्हें पूरी गीता कण्ठस्थ है। उन्होंने उपनिषदों का अध्ययन भी किया है। वह एक अच्छे योगाभ्यासी भी