संस्कारों की पाठशाला

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संस्कारों की पाठशाला सुबह के सात बजने वाले थे। अभी-अभी उसकी आँख खुली थी। दरवाजे पर किसी ने नॉक किया। उनींदी आँखों से उसने कहा, "आ जाओ, दरवाजा खुला है।" "गुड मॉर्निंग मॉम। ये लीजिए आपकी गरमागरम चाय। पापा कहाँ हैं ?" चाय की ट्रे लिए मुसकराते हुए सामने उनकी पंद्रह वर्षीया बेटी परिधि खड़ी थी। "तुम्हारे पापा बाथरूम में होंगे परी बेटा। तुम सुबह-सुबह ये... शायद नहा भी चुकी हो..." मालती को अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था। आठ बजे से पहले बिस्तर नहीं छोड़ने वाली नकचढ़ी परिधि, जो अपने हाथ से एक गिलास पानी भी