प्यार रविवार का दिन था। सुबह के समय महेश जी शहर के अपने सरकारी क्वार्टर के ड्राइंग रूम में बैठे श्रीमती जी के साथ अखबार पढ़ते हुए चाय का मजा ले रहे थे। उसी समय उनका बारह वर्षीय बेटा राजा आकर उनसे आग्रहपूर्वक बोला, "पापा, आज का खाना आप ही बनाइए न ? प्लीज पापा ?" "क्यों बेटा, क्या तुम्हारी मम्मी आज खाना नहीं बनाएँगी ?" महेश जी ने यूँ ही पूछ लिया, हालांकि वे अक्सर छुट्टियों में खाना बनाया करते हैं। "ऐसी बात नहीं है पापा। मैं रोज-रोज मम्मी जी के हाथ का बनाया खाना खा-खाकर बोर हो गया