अगर शब्दों के पंख होते

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1.लिखते लिखते बहुत दिन हुए अब गाने की बारी हैहमको जाना है दिल्ली तक हमने कर ली तैयारी है बाग बगीचा नदिया ‌ पनघट इस तट से जा पहुंचे उस तट तकनन्ही बिटिया खाना लातीदेख परछाई दौड़ी सरपटयाद आई बीती बातें तो छाई कितनी खुमारी हैकागज कलम दवात उठा लोजो सच है वो सब लिख डालोगिरे हुए को किंतु संभालोदिल में दया कि लौ तो जला लोजो ना समझे इन बातों को वो लोग बड़े लाचारी हैं दृष्टि से देखो सृष्टि को जानोअपने गुण को खुद पहचानोदुनिया बड़ी की साहस बड़ा हैबात यह मन की दिल में ठानोदिखला देती हैं