[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---1 नारी आंदोलन, स्त्री समानता, नारी विमर्श, स्त्री के अधिकार, इन सबकी विभिन्न कलाओं से अभिव्यक्ति, अपना व्यवसाय के अलावा होता है' स्त्रियों की अपने घर परिवार में उनकी अहम भूमिका'। मेरे अभिमत के अनुसार कोई वाद, कोई विमर्श, कोई आंदोलन न उसे बदल सकता, न मातृत्व या गृहणी के रोल का कोई पर्याय है जो उसके महत्व व उपयोगिता को कम कर सके । ये बात हर समझदार स्त्री समझती है चाहे उसे दोयम दर्ज़े का नागरिक समझा जाये, चाहे घर पर पड़ी चीज़। स्त्रियां पीढ़ी दर पीढ़ी इस रोल को निबाहती आ रहीं